भारत के जलीय-पर्यवासों में पाए जाने वाली मीठे पानी की प्रजातियाँ, जैसे गंगा नदी की डॉल्फ़िन, घड़ियाल, मीठे पानी के कछुए, ऊदबिलाव और जलपक्षी कई गंभीर खतरों का सामनाकर रहे हैं। इनमें प्रमुख हैं मछली पकड़ने के जाल में दुर्घटनावश फंसना, मछुआरों द्वारा जानबूझकर शिकार, और मत्स्य संसाधनों को लेकर होने वाली प्रतिस्पर्धा। परंतु साथ ही साथ मत्स्य पालन गंगा के मैदानी इलाकों में रहने वाले सामाजिक और आर्थिक रूप से हाशिए पर पड़े कई समुदायों के लिए आजीविका और पोषण सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इन सब के अतिरिक्त यह भी ग़ौर करने योग्य है की बांधों और बैराजों द्वारा नियंत्रित हमारी नदियों के मछुआरों की आजीविका भी नदी में पर्याप्त और स्वच्छ पानी के प्रवाह पर निर्भर हैं।इस प्रकार मछुआरे भी जैव विविधता की ही तरह नदी के प्रवाह में होने वाले परिवर्तनों से नुक़सान भुगत ते हैं। अतः मीठे पानी के वन्य जीवन और मत्स्य पालन के बीच यह अंतरनिर्भरता नीति वकालत (policy advocacy) और विवेचना के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
बिहार के विक्रमशिला गांगेय डॉल्फिन अभ्यारण्य में क्षण भर के लिए गंगा नदी की सतह पर आई एक डॉल्फिन । फ़ोटो क्रेडिट: मृणाल कौशिक_CC BY-SA 4.0
WCT का ’नदी पारिस्थितिकी तंत्र और आजीविका’ (REAL) कार्यक्रम के अंतर्गत उन तरीकों की जांच की जा रही है जिनसे गंगा के मैदानी इलाकों और मध्य भारत में मत्स्य पालन और वन्यजीव प्रबंधन के उद्देश्यों को आपस में समावेशित किया जा सके, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां मछली पकड़ने की गतिविधि और लुप्तप्राय मीठे पानी की प्रजातियां ओवरलैप(आपस में परस्पर) होती हैं। यह कार्यक्रम स्थलीय,नदी प्रणाली पराधीन (riverine) औरआर्द्रभूमि (wetland) से संबंधित संरक्षित क्षेत्रों में, और उसके आसपास, मछली पकड़ने के अधिकारों पर चल रहे संघर्षों का भी अध्ययन करता है। इसके लिए WCT सर्वेक्षण और मीठे पानी की प्रजातियों और मछली पकड़ने की गतिविधि के बीच पारिस्थितिक संबंध (ecological interactions) पर अध्ययन करता है; मत्स्य पालन और वन्यजीव कानूनों में मौजूदा कमियों की पहचान और समीक्षा करता है; और मत्स्य पालन के वन्यजीव संरक्षण और अन्य नदी-निर्भर हितधारकों से होने वाले संघर्षों के पीछे निहित संस्थागत,सामाजिक और आर्थिक कारकों की पहचान करता है। यह परियोजना गंगा के मैदानी इलाकों में गंगा औरइसकी सहायक नदियों में WCT की टीम द्वारा किए जा रहे दीर्घकालिक अनुसंधान और संरक्षण प्रयासों पर आधारित है।
चित्र साभार (फोटो क्रेडिट): कादम्बरी देशपांडे
REAL प्रोग्राम के अंतर्गत आने वाले गंगा के मैदानों और मध्य भारत में स्थित परियोजना स्थल। साभार : WCT
हेडर चित्र साभार (फोटो क्रेडिट): सौमेन बख्शी
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