वाइल्डलाइफ कंज़र्वेशन ट्रस्ट (WCT) की स्थापना भारत के जीवनदायी पारिस्थितिकी तंत्रों को समग्र व सतत रूप से सुरक्षित रखने के लिए की गई थी। लोगों और पारिस्थितिक तंत्रों के बीच परस्पर निर्भरता को समझते हुए WCT संरक्षण हेतु एक ३६०° दृष्टिकोण अपनाता है जिसमें वन व वन्यजीव संरक्षण के साथ सामुदायिक विकास पर भी समान रूप से ज़ोर दिया जाता है । हम देशभर के वन विभागों के साथ मिलकर जमीनी स्तर पर संरक्षण को सुदृढ़ करने का कार्य करते हैं जिसमें अग्रिम पंक्ति के वन कर्मचारियों को प्रशिक्षण और उपकरण प्रदान करना शामिल है। हम संरक्षण आवश्यकताओं को समझने और मज़बूत, व्यापक समाधान विकसित करने के लिए, जमीनी स्तर से वैज्ञानिक डेटा एकत्र करते हैं । विभिन्न क्षेत्रों के साथ साझेदारी जिसमे कई व्यावसायिक घराने भी शामिल है, के माध्यम से यह ट्रस्ट मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के प्रयास में कार्यरत है । इसी के साथ प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्रों पर मानव जनित दबाव को कम करने और वन क्षरण से लड़ने के लिए, ईंधन की लकड़ी के विकल्प भी प्रदान कर रहा है।
विचार स्पष्ट है – प्रमुख वन क्षेत्रों को सुरक्षित करना ताकि वन्यजीवों, लोगों, व नदियों की सुरक्षा के साथ जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को नियंत्रित किया जा सके।
बाघ को संपूर्ण प्रकृति का एक प्रतीक मानते हुए WCT की परिकल्पना, भारत की समृद्ध प्राकृतिक विरासत को संरक्षित व सुरक्षित करने के लिए की गई थी । वर्तमान में, WCT देश के २३ राज्यों में १६० संरक्षित क्षेत्रों में काम करता है जो की भारत के, ८२ प्रतिशत बाघ अभ्यारण्यों, २४ प्रतिशत राष्ट्रीय उद्यानों और अभ्यारण्यों को शामिल करता है और लगभग ३.५ मिलियन लोगों की आबादी को प्रभावित करता है।
WCT के मुख्य कार्य क्षेत्रों में, संरक्षण पद्धतियों का धरातलिकरण, दीर्घकालिक संरक्षण अनुसंधान, जंगलों व उसके आसपास रहने वाले लोगों के व्यवहार व उनके और प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र के बीच के अंतर-संबंध को समझना, मानव-वन्यजीवों के बीच संपर्क प्रबंधन, वन्यजीव गलियारों से गुजरने वाली रेखीय आधारभूत निर्माण जैसे की सड़क, रेल, या बिजली लाईन के वन्यजीवों पर पड़ते प्रभावों को कम करने हेतु वैज्ञानिक अनुसंधान , वन्यजीव कानून प्रवर्तन व फोरेंसिक में वन विभाग की क्षमता निर्माण, संरक्षण शिक्षा, आजीविका, अग्रिम पंक्ति के वन कर्मचारियों का स्वास्थ्य, और सड़क पारिस्थितिकी शामिल है । हम बाघ अभ्यारण्यों के सुरक्षा तंत्र का आकलन करने के लिए राज्य वन विभागों के साथ मिलकर कार्य करते हैं तथा व्यवस्था में किसी भी प्रकार की कमियों की पूर्ति करते है जिसमें विभाग को आवश्यक उपकरण प्रदान करना, अग्रिम पंक्ति के वन कर्मचारियों में क्षमता निर्माण, वन कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य जांच आयोजित करना व चिकित्सा आपात स्थिति के प्रबंधन में प्रशिक्षण प्रदान करना शामिल हैं।
हमारा मानना है कि स्वस्थ प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र व कार्यरत सशक्त समुदाय आर्थिक विकास का आधार हैं । हम आने वाली पीढ़ियों के लिए भारत के वन्य जीवन को संरक्षित करने और उन समुदायों के सतत विकास की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो बाघ, एशियाई सिंह, तेंदुए, एशियाई हाथी, सोन्स (गंगा की डॉल्फ़िन) और घड़ियाल जैसे वन्यजीवों के साथ अपना स्थान साझा करते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में, WCT, राज्य वन विभागों और अन्य सरकारी एजेंसियों के लिए एक प्रमुख वैचारिक मंच (थिंक टैंक) के रूप में विकसित हुआ है। हम वैज्ञानिकों, संरक्षणविदो, अर्थशास्त्रियों, कानून और फोरेंसिक विशेषज्ञों, विश्लेषकों, चिकित्सा डॉक्टरों, सामाजिक मनोवैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और संचारकों का एक दल हैं, जो अनेकों संरक्षण मुद्दों के लिए ठोस रणनीति और दीर्घकालिक समाधान विकसित करने में गहराई से शामिल हैं । यह क्षमता अनेकों निकायों के मजबूत सहयोग से प्राप्त की गयी है जिसमें सरकारी व गैर सरकारी संगठनों, अनुसंधान संस्थानों और व्यक्तियों के साथ कई अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों का सहयोग सम्मिलित है।
संगठन की मुख्य बातें:
- एक दशक में, हमने अपने संरक्षण प्रयासों के माध्यम से १६० संरक्षित क्षेत्रों और उसके आसपास काम किया है।
- WCT एकमात्र गैर-सरकारी संगठन है, जो संरक्षित क्षेत्रों के बाहर वन्यजीव गलियारों और आवासों में, बड़े पैमाने पर बाघों की आबादी का आकलन करने का कार्य करता है।
- WCT ने निम्नलिखित में एक सदस्य के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई या निभाना जारी रखा है:
- सलाहकार बोर्ड, ग्लोबल टाइगर फोरम
- सलाहकार बोर्ड, नेशनल टाइगर कंज़र्वेशन अथॉरिटी
- राज्य वन्यजीव बोर्ड – महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और जम्मू और कश्मीर
- मध्य प्रदेश टाइगर फाउंडेशन सोसायटी की कार्यकारी समिति
- गुजरात स्टेट लायन कंज़र्वेशन सोसाइटी (GLCS) की कार्यकारी समिति
- इंडियन क्लाइमेट कोलेबोरेटिव की आयोजन समिति
- महारष्ट्र कोस्टल जोन मैनेजमेंट अथॉरिटी के सदस्य
- इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ़ नेचर (IUCN)
- WCT नियमित रूप से एनटीसीए (NTCA) द्वारा आयोजित अखिल भारतीय बाघ गणना में भाग लेता है।
- हमारे वन्यजीव कानून प्रवर्तन प्रशिक्षण अभ्यासों के माध्यम से १५००० से अधिक वन कर्मचारियों को वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, १९७२ को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
- WCT का मॉडल, जिसमें पर्यावरणीय रूप से सतत और ऊर्जा कुशल बायोमास-आधारित जल हीटर शामिल हैं, पानी गर्म करने के लिए लकड़ी के उपयोग को बड़े पैमाने पर कम करने और वन क्षरण को रोकने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इस मॉडल को व्यापक रूप से स्वीकार्यता मिली है, और इस परियोजना को विभिन्न राज्य सरकारों की मदद से दोहराया और बढ़ाया जा रहा है।
- WCT की नागरिक विज्ञान परियोजना ‘रोडकिल्स’ ने वन्यजीव आवासों और गलियारों में रेखीय आधारभूत निर्माण जैसे सड़क, रेल, या बिजली लाईन के वन्यजीवों पर पड़ रहे हानिकारक प्रभावों पर प्रकाश डाला है।
- WCT ने ११ बाघ अभ्यारण्यों के बफर क्षेत्रों और उसके आसपास के ७२८ स्कूलों के ८२००० से अधिक बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में सहायता की है।
- अग्रिम पंक्ति के वन कर्मचारियों के लिए WCT का ‘केयरिंग फॉर कंज़र्वेटर्स’ कार्यक्रम निवारक स्वास्थ्य मूल्यांकन के माध्यम से, १६८०० से अधिक वन रक्षकों और पर्यवेक्षकों तक पहुँच गया है।
- हमने क्षेत्र में उनकी सुरक्षा बढ़ाने के लिए, ट्रॉमा प्रबंधन में, १३०० से अधिक, वन कर्मचारियों को प्रभावी ढंग से, प्रशिक्षित किया है।
- WCT, उपमहाद्वीप का पहला संगठन है जो गंभीर रूप से लुप्तप्राय भारतीय पैंगोलिन और यूरेशियन ऊदबिलाव पर रेडियो-टेलीमेट्री द्वारा अध्ययन कर रहा है, ताकि उनकी पारिस्थितिकी को समझा जा सके और अंततः उनके दीर्घकालिक संरक्षण में सहायता मिल सके।
WCT Brochure
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