
श्री सुब्रमण्यम रामदोरई
श्री सुब्रमण्यम रामदोरई एक प्रख्यात दूरदर्शी व्यक्तित्व हैं, जो न केवल वैश्विक स्तर पर तकनीकी नेतृत्व के लिए जाने जाते हैं, बल्कि शिक्षा, कौशल विकास और पर्यावरणीय संतुलन पर आधारित नवाचार के अनवरत समर्थक भी हैं। प्रौद्योगिकी और जनसेवा के शीर्ष स्तर पर पाँच दशकों से अधिक का अनुभव रखने वाले श्री रामदोरई ने सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र, शैक्षणिक जगत, अनुसंधान एवं नवाचार, और राष्ट्र निर्माण की दिशा में अत्यंत प्रभावशाली और दूरगामी योगदान दिए हैं। वर्तमान में श्री रामदोरई मिशन कर्मयोगी भारत का नेतृत्व कर रहे हैं, यह एक दूरदर्शी पहल है जिसका उद्देश्य देश के सिविल सेवकों के प्रशिक्षण और दक्षता विकास प्रणाली को आधुनिक, प्रभावी और भविष्योन्मुख बनाना है। वे टाटा समूह की प्रमुख कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सी0एस0आर0) पहल ‘टाटा स्ट्राइव’ के सलाहकार मंडल का नेतृत्व भी कर रहे हैं, जो युवाओं को कौशल विकास के माध्यम से सशक्त बनाने के लिए समर्पित है। श्री रामदोरई के नेतृत्व में टाटा स्ट्राइव ने एक आदर्श स्वरूप ग्रहण किया है, जहाँ कौशल विकास को सामाजिक बदलाव से जोड़ा गया है। यह पहल विशेष रूप से वंचित तबके के युवाओं को सक्षम बनाकर समाज में समावेश और समान अवसरों को बढ़ावा देती है।
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ (टी0 सी0 एस0) के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सी0 ई0 ओ0) और उपाध्यक्ष के रूप में, श्री सुब्रमण्यम रामदोरई ने कंपनी को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उनके नेतृत्व में टी0 सी0 एस0 ने 1996 में जहाँ उसका राजस्व $155 मिलियन था, वहीं 2009 तक यह बढ़कर $6 बिलियन हो गया — और कंपनी को वैश्विक आईटी उद्योग में अग्रणी स्थान प्राप्त हुआ। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने भारत में डिजिटल परिवर्तन की अनेक ऐतिहासिक परियोजनाओं का नेतृत्व किया, जिनमें पासपोर्ट सेवा परियोजना, भारतीय स्टेट बैंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का डिजिटलीकरण शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने 2001 से 2023 तक टाटा टेक्नोलॉजीज़ के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए देशभर के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आई0 टी0 आई0) के आधुनिकीकरण में अहम योगदान दिया, जिससे उन्हें आज की अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं के अनुरूप ढाला जा सका।
शिक्षा और उद्योग के मध्य सहयोग को दृढ़ता से बढ़ावा देने वाले श्री रामदोरई ने शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों की संरचना और दिशा को प्रभावी रूप से आकार दिया है। वर्तमान में वे कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से जुड़े हैं, जिनमें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज़, डीकिन यूनिवर्सिटी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट बेंगलुरु स्थित सेंटर फॉर डिजिटल पब्लिक गुड्स, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया, काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर, पॉलिसी रिसर्च स्टडीज़, और द नेचर कंजरवेंसी शामिल हैं।
श्री रामदोरई का सामाजिक क्षेत्र से एक गहरा और स्थायी संबंध रहा है। वे यह मानते हैं कि तकनीक और नवाचार को जनहित में इस्तेमाल कर समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। इसी दृष्टिकोण से उन्होंने मुंबई स्थित सी0एस0आर0की स्थापना प्रक्रिया का मार्गदर्शन किया। वर्तमान में वे ऐक्सिस बैंक फाउंडेशन, ब्रिटिश एशियन ट्रस्ट, सेंटर फॉर एशियन फिलान्थ्रॉपी इंडिया और अन्वेषा ट्रस्ट जैसी संस्थाओं में नेतृत्वकारी भूमिकाओं का निर्वहन कर रहे हैं।
श्री रामदोरई कला और संस्कृति के प्रति हमेशा से समर्पित रहे हैं, और उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं फोटोग्राफी में विशेष रुचि रही है। कलाक्षेत्र फाउंडेशन के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और उसे नई पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। सहपीडिया —जो कि भारत की कला, संस्कृति और विरासत पर आधारित एक खुला ऑनलाइन स्रोत है— में उनकी सक्रिय भागीदारी और जुड़ाव यह दर्शाता है कि वे भारत की सांस्कृतिक विविधता और परंपराओं के ज्ञान को सभी के लिए सुलभ और सर्वव्यापी बनाना चाहते हैं।

श्री अमित चंद्र
श्री अमित चंद्र 2008 से बैन कैपिटल में मैनेजिंग डायरेक्टर हैं और एशिया में फर्म की नेतृत्व टीम का हिस्सा हैं। उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय के वी.जे.टी.आई. से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया और लार्सन एंड टुब्रो में कार्य किया। इसके पश्चात उन्होंने बॉस्टन कॉलेज से एमबीए किया और 2007 में उन्हें विशिष्ट पूर्व छात्र (Distinguished Alumnus) के रूप में सम्मानित किया गया।
बैन कैपिटल से पहले, श्री अमित चंद्र ने डीएसपी मेरिल लिंच, जो भारत की प्रमुख निवेश बैंकों में से एक है, में एक दशक से अधिक समय तक कार्य किया, जहाँ वे बोर्ड सदस्य और मैनेजिंग डायरेक्टर थे। उन्होंने फर्म के ग्लोबल मार्केट्स और इन्वेस्टमेंट बैंकिंग डिविज़न का नेतृत्व किया, जिसमें फर्म के महत्वपूर्ण प्रिंसिपल इन्वेस्टमेंट व्यवसाय भी शामिल थे। 2007 में उन्होंने प्राइवेट इक्विटी क्षेत्र में कदम रखने के लिए फर्म से विदाई ली।
श्री चंद्र को 2007 में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा यंग ग्लोबल लीडर नामित किया गया था और 2016 में फोर्ब्स द्वारा एशिया के “हीरोज ऑफ फिलान्थ्रॉपी” की सूची में शामिल किया गया। वर्तमान में वे टाटा सन्स लिमिटेड, जेनपैक्ट, एलएंडटी फाइनेंस और एमक्योर फार्मास्यूटिकल्स के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सदस्य हैं। हाल के वर्षों में वे पिरामल एंटरप्राइजेज, टाटा इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन और द आकांक्षा फाउंडेशन के बोर्ड से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वे भारत के सामाजिक क्षेत्र में भी सक्रिय हैं और टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टी, अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापक/बोर्ड सदस्य, और गिव इंडिया जैसे सामाजिक संस्थानों से भी सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं।

सुश्री नैना लाल किडवई
सुश्री नैना लाल किडवई एक बहुआयामी कॉरपोरेट नेतृत्वकर्ता हैं, जो वर्तमान में रोथसचाइल्ड इंडिया की अध्यक्ष हैं। इसके साथ ही वे एडवेंट प्राइवेट इक्विटी और टीपीजी राइज़ क्लाइमेट में वरिष्ठ सलाहकार, तथा लाइटस्पीड वेंचर पार्टनर्स इंडिया में वेंचर सलाहकार के रूप में भी जुड़ी हुई हैं, और कई भारतीय एवं वैश्विक कंपनियों के बोर्ड में एक गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। वे फिक्की (FICCI) की पूर्व अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। इससे पहले, वे एच0 एस0 बी0 सी0 एशिया पैसिफिक के बोर्ड की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और एच0 एस0 बी0 सी0 इंडिया की चेयरपर्सन के पद से सेवानिवृत्त हुई हैं।
हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए की डिग्री प्राप्त करने वाली सुश्री नैना लाल किडवई को वैश्विक कॉर्पोरेट जगत में उत्कृष्ट महिला नेतृत्व के प्रतीक के रूप में सराहा गया है। वे 2002 से लगातार फार्च्यून पत्रिका की प्रमुख महिलाओं की सूचियों में स्थान पाती रही हैं, साथ ही अनेक अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों में भी उन्हें व्यवसायिक नेतृत्व और प्रभावशीलता के लिए सम्मानित किया गया है।
व्यापार और उद्योग में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें भारत में कई प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए हैं। वर्ष 2007 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया, जो उनके उत्कृष्ट नेतृत्व और राष्ट्र निर्माण में योगदान का प्रतीक है। जल संरक्षण, पर्यावरणीय संतुलन और महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रति सुश्री नैना लाल किडवई की गहरी प्रतिबद्धता उनके अनेक सामाजिक संस्थानों से जुड़ाव में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। वे शक्ति सस्टेनेबल एनर्जी फाउंडेशन, टेरी (TERI), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यू0 एन0 ई0 पी0) की इंटरनेशनल एडवाइजरी काउंसिल ऑफ द इंक्वायरी, तथा ग्लोबल कमिशन ऑन इकॉनमी एंड क्लाइमेट में कमिश्नर के रूप में सक्रिय योगदान दे रही हैं। सुश्री नैना लाल किडवई फिक्की की वॉटर मिशन और समावेशी शासन परिषद का नेतृत्व कर रही हैं, साथ ही वे इंडिया सैनिटेशन कोएलिशन की अध्यक्ष भी हैं। इन भूमिकाओं के माध्यम से वे सतत विकास और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत हैं।

श्री प्रशांत त्रिवेदी
Prashant Trivedi is the Founder & Executive Chairman of the Multi-Act Group, a global enterprise with operations in financial services, real estate, light engineering, and eco-conservation tourism. The group has a presence in Mauritius, India, and East & Southern Africa.
A summa cum laude graduate in Economics from the Wharton School and a CFA charterholder since 1997, he chairs Multi-Act Trade & Investments Pvt. Ltd. and Indian Card Clothing Co. Ltd. He also serves as a Director in several Great Plains Conservation SPV’s in Kenya and Zimbabwe.
Prashant is a passionate advocate for wildlife and natural habitats, especially for the conservation of big cats. He serves on the Advisory Board of the Wildlife Conservation Trust.

श्री डेरेक जौबर्ट
डेरेक जौबर्ट एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित वन्यजीव फ़िल्म निर्माता, नेशनल ज्योग्राफ़िक एक्सप्लोरर-इन-रेज़िडेंस और वन्यजीव संरक्षणवादी हैं, जो तीन दशकों से अफ्रीका में फ़िल्म निर्माण, शोध और अन्वेषण कार्य कर रहे हैं। उनका मुख्य मिशन अफ्रीका में बड़े शिकारी प्राणियों और अन्य प्रमुख वन्यजीव प्रजातियों के संरक्षण और उनके व्यवहार की समझ को बढ़ाना है, जोकि पूरे महाद्वीप में संरक्षण की दिशा तय करती हैं।
डेरेक जौबर्ट ने अपनी पत्नी बेवर्ली जौबर्ट के साथ मिलकर नेशनल ज्योग्राफिक बिग कैट्स इनिशिएटिव की स्थापना की, और वे इस पहल के अध्यक्ष भी हैं। यह पहल अब तक 27 देशों में बड़े बिल्लियों (बिग कैट्स) के संरक्षण हेतु 94 से अधिक अनुदान दे चुकी है। अब तक, उन्होंने नेशनल ज्योग्राफिक के लिए 30 फ़िल्में, 11 पुस्तकें, आधा दर्जन वैज्ञानिक शोधपत्र, और नेशनल ज्योग्राफिक मैगज़ीन के लिए कई लेखों और फ़ोटोग्राफ़्स का प्रणयन किया है।
डेरेक और बेवर्ली जौबर्ट की फिल्मों को 9 एमी, पीबॉडी, वाइल्डस्क्रीन पांडा अवॉर्ड्स, और जैक्सन होल व जापान वाइल्डलाइफ़ फ़िल्म फ़ेस्टिवल्स में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड्स जैसे अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। डेरेक को वर्ल्ड इकोलॉजी अवॉर्ड प्राप्त है और दोनों को बोत्सवाना के प्रेसिडेंशियल ऑर्डर ऑफ मेरिट से भी सम्मानित किया गया है।

श्री आलोक क्षीरसागर
आलोक क्षीरसागर McKinsey & Company में सीनियर पार्टनर हैं। उन्होंने फर्म के लंदन, न्यूयॉर्क और मुंबई कार्यालयों में कार्य करते हुए प्रदर्शन सुधार (performance improvement) और विकास रणनीतियों (growth initiatives) के क्षेत्र में व्यापक अनुभव प्राप्त किया है।
वे McKinsey के एशिया रिस्क मैनेजमेंट प्रैक्टिस का नेतृत्व करते हैं, जहाँ वे अनिश्चितताओं के बीच मजबूत व्यापार मॉडल तैयार करने पर काम करते हैं। आलोक क्षीरसागर ने McKinsey Asia Centre का नेतृत्व किया है, जो वैश्वीकरण से अधिकतम मूल्य प्राप्त करने हेतु एशियाई और वैश्विक कंपनियों को रणनीतिक सहयोग प्रदान करता है। वे भारत सरकार के साथ McKinsey की साझेदारी का भी सह-नेतृत्व करते हैं, जो डिजिटल नवाचार, इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस, और अन्य राष्ट्रीय प्राथमिकताओं पर केंद्रित है।
आलोक क्षीरसागर न केवल कॉर्पोरेट रणनीति और नीति निर्माण में अग्रणी हैं, बल्कि सामाजिक क्षेत्र में भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। वे नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड (कर्नाटक) के मानद अध्यक्ष हैं, और PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च तथा ISB के नेक्स्ट जेन लीडर्स बोर्ड के सदस्य भी हैं। उन्हें विश्व आर्थिक मंच द्वारा 2012 में यंग ग्लोबल लीडर नामित किया गया था। वे एक इनलैक्स स्कॉलर हैं और उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से राजनीति और अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है।
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