WCT की कनेक्टिविटी कन्ज़र्वेशन टीम कैमरा ट्रैपिंग, संरक्षण आनुवंशिकी और GIS जैसी वैज्ञानिक विधियों का संयोजन करके बाघों की जटिल परिदृश्यों में आवाजाही का अध्ययन और पूर्वानुमान लगाती है। इन परिदृश्यों में बाघ अभयारण्य, अन्य संरक्षित क्षेत्र (PAs), अपेक्षाकृत कम संरक्षित परन्तु गुणवत्ता वाले कॉरिडोर, रेखीय अवसंरचना, अत्यंत क्षतिग्रस्त वन, राजस्व भूमि और कृषि भूमि शामिल हैं। यह हमें सबसे व्यवहार्य कॉरिडोरों और उनके भीतर की बाधाओं की पहचान करने में मदद करता है। यह शोध अंततः राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नीति सिफारिशों में योगदान देता है।

हमारे वैज्ञानिक वन आवरण, जल निकाय, रेखीय अवसंरचना, मानव गतिविधि, पशुपालन और मांसभक्षी घनत्व के विशाल आंकड़े एकत्र करते हैं। GIS प्लेटफॉर्म का उपयोग करके ये सभी आंकड़े एक साथ मिलाए जाते हैं ताकि संबंधित क्षेत्र का समग्र परिदृश्य स्तर पर दृश्यांकन तैयार किया जा सके। यह जानकारी संबंधित एजेंसियों के साथ साझा की जाती है ताकि बड़े परिदृश्यों के संरक्षण के लिए समग्र रणनीति बनाई जा सके, जिसमें लोगों और वन्यजीवन दोनों के हित और कल्याण को ध्यान में रखा जाए।

Multiple layers of data are integrated using GIS software to create a composite, landscape-level perspective

जीआईएस सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके विभिन्न स्तरों के डेटा को एकीकृत कर एक संयुक्त, परिदृश्य-स्तरीय दृष्टिकोण तैयार किया जाता है।

विस्तृत परिदृश्य स्तर के विश्लेषण और प्राप्त मानचित्रों के माध्यम से, WCT राज्य सरकार को उन वन्यजीव कॉरिडोरों को बेहतर समझने में सहायता करता है जो मौजूदा संरक्षित क्षेत्रों और अन्य बाघ स्रोत स्थलों को जोड़ते हैं। ये मानचित्र बाघों के आवाजाही के लिए सर्वोत्तम क्षेत्र दिखाते हैं और उनके साथ जुड़े प्राथमिक स्थानों (पिंच-पॉइंट्स) की पहचान करते हैं। ये ऐसे क्षेत्र भी उजागर करते हैं जहां कनेक्टिविटी टूटती है और जिन पर तत्काल ध्यान और संरक्षण आवश्यक है।

Map depicting tiger connectivity between Protected Areas in the Central Indian Landscape

केन्द्रीय भारतीय परिदृश्य में संरक्षित क्षेत्रों के बीच बाघ कनेक्टिविटी को दर्शाने वाला मानचित्र

रेखीय अवसंरचना के प्रभाव को कम करना

भारत की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था ने सड़कों, रेलवे पटरियों, विद्युत संचरण लाइनों एवं नहरों जैसी रेखीय अवसंरचनाओं की मांग में प्रबल वृद्धि कर दी है। भले ही इन सुविधाओं के लिए वन भूमियों का छोटा-सा हिस्सा आवंटित किया जाता है, परन्तु इनके कारण वन्यजीव कॉरिडोरों में टूट-फूट, आवासीय क्षेत्र का विखंडन और सड़क दुर्घटनाओं के रूप में वन्यजीवों की मृत्यु जैसी गंभीर समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।

इस तरह के बड़े पैमाने के विकास के नकारात्मक प्रभावों को कम करना किसी एक संगठन की क्षमता से परे है। इस समस्या को डेटा की अपर्याप्तता और नियामक एजेंसियों के बीच क्षमता की कमी और भी गंभीर बना देती है।

WCT का सड़क पारिस्थितिकी कार्यक्रम इन समस्याओं से निपटने के लिए एक गहन त्रिआयामी दृष्टिकोण के माध्यम से मार्ग बनाने हेतु डिज़ाइन किया गया है, जिसमें निम्नलिखित शामिल है:

  • 1. सर्वेक्षण: WCT उन सड़कों पर पारिस्थितिकी अध्ययन करता है जिनके विस्तार का प्रस्ताव है, ताकि जानवरों की आवाजाही के हॉटस्पॉट का पता लगाया जा सके और शमन संरचनाओं के लिए उपयुक्त स्थानों की पहचान में सहायता मिल सके। इससे परियोजना की शुरुआत में ही संरक्षण लागत निर्धारित की जा सकती है।
  • 2. अंतराल विश्लेषण: WCT उन प्रस्तावित सड़कों और रेलवे का डेटाबेस बनाए रखता है जिनके उन्नयन की योजना है। इन प्रस्तावित सड़कों और रेलवे के संरेखण को GIS तकनीकों का उपयोग करके मौजूदा वनों के मानचित्र पर आरोपित किया जाता है ताकि उन कॉरिडोरों की पहचान की जा सके जो संभावित रूप से खंडित हो सकते हैं। ये संयुक्त मानचित्र नियामक निकायों के साथ साझा किए जाते हैं ताकि शमन संरचनाओं की योजना सक्रिय रूप से बनाई जा सके।
  • 3. क्षमता निर्माण: WCT सड़क पारिस्थितिकी के वैज्ञानिक और नीतिगत पहलुओं पर केंद्रित कार्यशालाओं के आयोजन के लिए प्रमुख विशेषज्ञों के साथ सहयोग करता है। हम इन कार्यशालाओं के लिए NTCA, वन विभाग जैसी नियामक एजेंसियों, अवसंरचना विकास एजेंसियों, NGOs, और वन्यजीव जीवविज्ञानियों से व्यावहारिक अनुभव रखने वाले लोगों को आमंत्रित करते हैं, न केवल भारत से बल्कि अन्य बाघ रेंज देशों से भी।
Camera trap photographs of a variety of large mammals using the underpass built on National Highway 44 along the Kanha-Pench corridor (Clockwise from top: tiger, leopard, gaur and sambar).

राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर कान्हा-पेंच कॉरिडोर के साथ निर्मित अंडरपास का उपयोग करने वाले विभिन्न बड़े स्तनधारियों की कैमरा ट्रैप तस्वीरें (ऊपर से घड़ी की दिशा में: बाघ, तेंदुआ, गौर और सांभर)।

A map depicting existing and proposed roads fragmenting wildlife corridors in Central India

मध्य भारत में वन्यजीव कॉरिडोरों को खंडित करने वाली मौजूदा और प्रस्तावित सड़कों को दर्शाने वाला मानचित्र।

प्रौद्योगिकी आधारित समाधानों के उपयोग से कॉरिडोर कनेक्टिविटी में सुधार (FACCTS)

पिछले दशक में, रेखीय अवसंरचना विकास भारत में बाघों की जनसांख्यिकीय स्थिरता के लिए एक प्रमुख खतरा बन गया है। सड़कों और रेलवे लाइनों के उन्नयन जैसे विकास कार्यों के कारण जानवरों की मृत्यु होती है और वन्यजीवों की वन क्षेत्रों के भीतर और उनके बीच आवाजाही बाधित होती है। मौजूदा सड़कों, रेलवे लाइनों और नहरों के साथ वन्यजीवों की आवाजाही पर प्रौद्योगिकी आधारित निगरानी एक महत्वपूर्ण आधार प्रदान कर सकती है, जिससे सरकार द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार शमन संरचनाओं को स्थापित किया जा सके। तकनीकी समाधान वन्यजीवों और मानवों की उन दुर्घटनाओं में मृत्यु को कम करने में भी मदद करते हैं जो वन्यजीव आवासों से होकर गुजरने वाली सड़कों और रेलवे लाइनों पर होती हैं।

WCT team member collecting traffic speed data with a radar gun.

WCT की टीम ट्रैफ़िक की गति का डेटा राडार गन की सहायता से एकत्र कर रही है। ©WCT

WCT का FACCTS प्रोजेक्ट मौजूदा प्रौद्योगिकियों के उपयोग के साथ-साथ नई तकनीकों के विकास पर केंद्रित है, ताकि सड़कों के रेखीय शमन दिशानिर्देशों में मौजूद खामियों को दूर किया जा सके, और वन्यजीवों तथा मनुष्यों की मृत्यु दर को कम किया जा सके। इस परियोजना के अंतर्गत उन रेलवे लाइनों के साथ वन्यजीवों की आवाजाही की निगरानी भी की जाती है, जहाँ संरचनात्मक परिवर्तन संभव नहीं हैं।

WCT, केंद्रीय भारतीय परिदृश्य (CIL) के महत्वपूर्ण कॉरिडोरों जैसे कि कान्हा-पेंच कॉरिडोर, सतपुड़ा-मेलघाट कॉरिडोर, तड़ोबा-कावल-इंद्रावती कॉरिडोर और बंधवगढ़-अचनकमार कॉरिडोर के साथ विभिन्न सड़कों और रेलवे लाइनों के किनारे गहन कैमरा ट्रैप सर्वे कर रहा है। इन कैमरा ट्रैप सर्वेक्षणों से उन सड़कों के साथ जानवरों की उपस्थिति और आवाजाही के सूक्ष्म-स्तर के डेटा प्राप्त हो रहे हैं जिन्हें उन्नत किया जाना है।

WCT इस प्रारंभिक डेटा को संग्रहित करके वन विभाग को उन उच्च प्राथमिकता वाले स्थलों की जानकारी प्रदान कर रहा है जहाँ शमन संरचनाओं की आवश्यकता है। साथ ही, WCT नई प्रौद्योगिकी विकसित और परीक्षण कर रहा है ताकि वन्यजीव मृत्यु को कम किया जा सके और वन्यजीवों की आवाजाही की प्रभावी निगरानी की जा सके।

WCT conducts camera-trap based surveys in critical wildlife corridors to identify high priority sites where mitigation structures are required.

WCT महत्वपूर्ण वन्यजीव कॉरिडोरों में कैमरा ट्रैप आधारित सर्वेक्षण करता है ताकि उन उच्च प्राथमिकता वाले स्थलों की पहचान की जा सके जहाँ शमन संरचनाओं की आवश्यकता होती है। ©WCT

WCT वन्यजीव आवासों से होकर गुजरने वाली मौजूदा रेलवे लाइनों के साथ वन्यजीव मृत्यु को कम करने और वन्यजीवों की आवाजाही की निगरानी करने के लिए नई तकनीकों को विकसित और परीक्षण कर रहा है।

Early warning systems being tested on railway line.

रेलवे लाइन पर परीक्षण किए जा रहे प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियां। ©WCT

आनुवंशिकी के माध्यम से बाघ के प्रसार को समझना

“अधिकांश वन्य बाघ छोटे, पृथक संरक्षित क्षेत्रों (PAs) में रहते हैं। जहां संरक्षित क्षेत्रों के भीतर बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं, वहीं टुकड़े-टुकड़े बाघ आबादियों की कनेक्टिविटी पर विभिन्न परिदृश्य तत्वों के प्रभाव को समझने में बहुत कम काम हुआ है। WCT इस खामी को पूरा करने के लिए आनुवंशिकीय दृष्टिकोणों को परिदृश्य पारिस्थिति के साथ जोड़कर बाघ आबादियों पर ऐसे प्रभावों का अध्ययन और मापन करने का प्रयास कर रहा है।”

– आदित्य जोशी

संरक्षण अनुसंधान प्रमुख

आनुवंशिकी का उपयोग करके एक आबादी के भीतर व्यक्तिगत जानवरों की पहचान करना वन्यजीव अनुसंधान में एक अहम मोड़ साबित हुआ है। WCT के वन्यजीव जीव वैज्ञानिक इस विधि का उपयोग करके बाघ मल के नमूनों से व्यक्तिगत बाघों की स्पष्ट पहचान कर रहे हैं।

फील्ड से एकत्रित किये गए बाघों के मल के नमूनों का विश्लेषण किया जाता है ताकि संरक्षित क्षेत्रों के बाहर बाघों के शिकार की संरचना और बड़े परिदृश्यों में व्यक्तिगत बाघों की आवाजाही को समझा जा सके। हमारे शोध से पता चला है कि अपेक्षाकृत छोटे संरक्षित क्षेत्र और उनके बाहर अत्यधिक खंडित वन के बाघ आबादियों के बीच आनुवंशिक कनेक्टिविटी बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो मानव-प्रभावित बड़े परिदृश्यों के बीच फैले हुए हैं।

WCT deciphered important functional tiger corridors connecting Tadoba-Andhari Tiger Reserve with other PAs using DNA extracted from tiger scat samples.

WCT ने टाडोबा-अंधारी टाइगर रिज़र्व को अन्य संरक्षित क्षेत्रों (PAs) से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण कार्यात्मक बाघ कॉरिडोरों की पहचान की है, जो बाघ के मल के नमूनों से निकाले गए DNA के विश्लेषण से संभव हुआ। ©WCT

WCT के गहन आनुवंशिक अध्ययन ने लंबे समय तक बाघों और उनके शिकार की संरक्षण के लिए इन कॉरिडोरों की सुरक्षा की आवश्यकता के लिए पर्याप्त प्रमाण प्रदान किए हैं।

रेडियो टेलीमेट्री

कई बाघ अभयारण्यों के कोर क्षेत्र तंग होने के कारण युवा बाघों के लिए वहां अधिक स्थान उपलब्ध नहीं होता। परिणामस्वरूप, अधिकांश युवा बाघ गलियारों के माध्यम से कम संरक्षित संरक्षित क्षेत्रों में लौट जाते हैं।

WCT रेडियो-टेलीमेट्री तकनीक का उपयोग यह समझने के लिए करता है कि विस्थापित बाघ अपने आवास का कैसे उपयोग करते हैं, तथा लोगों और बाघों के बीच होने वाले संघर्ष को कम करने के लिए समुदाय आधारित हस्तक्षेपों का सुझाव और क्रियान्वयन करता है।

A radio- collared tiger

रेडियो-कॉलर से सुसज्जित बाघ। ©WCT

बाघों एवं तेंदुओं के विस्थापन को समझने से हमें अग्रिम पंक्ति के वन कर्मचारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करने में सहायता मिलती है। हम उन बाघों को रेडियो-कॉलर लगाने में वन विभाग की भी सहायता करते हैं जिन्हें मानवों के लिए खतरनाक घोषित किया गया है। उनके गतिशीलता की करीबी निगरानी कर, हम वन विभाग को निष्पक्ष प्रमाण प्रदान करते हैं, जो महत्वपूर्ण और समय पर हस्तक्षेप निर्णयों में मार्गदर्शन करता है।

रेडियो टेलीमेट्री उपकरण। ©WCT



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