‘वन्यजीव एवं संरक्षण की कहानियों को संवेदनशीलता से कवर करना’ – इस विषय पर हिंदी और अंग्रेज़ी पत्रकारों के लिए आयोजित दो ऑनलाइन कार्यशालाओं सफल समापन की घोषणा करते हुए हमें बहुत ख़ुशी हो रही है। ये कार्यशालाएं निशुल्क थीं तथा वन्यजीवों एवं संरक्षण में रुचि रखने वाले सभी पत्रकारों के लिए खुली थीं। अंग्रेज़ी कार्यशाला 1 मार्च, 2025 को आयोजित की गई, वहीं हिंदी कार्यशाला का आयोजन 8 मार्च, 2025 को किया गया।
इस कार्यशाला का उद्देश्य था राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पत्रकारों को वन्यजीवों और संरक्षण से जुड़ी कहानियों के तथ्यात्मक, संवेदनशील, वैज्ञानिक और गरिमापूर्ण कवरेज की आवश्यकता पर चर्चा कर उनकी रिपोर्टिंग को और अधिक सशक्त बनाना और संवेदनशील पत्रकारिता को बढ़ावा देना।
हिंदी कार्यशाला का नेतृत्व प्रख्यात पत्रकार हृदयेश जोशी ने किया, जो हिंदी में पर्यावरण संबंधी अग्रणी पत्रकारिता के लिए जाने जाते हैं।
अंग्रेज़ी कार्यशाला का नेतृत्व प्रसिद्ध संरक्षणवादी और पत्रकार प्रेरणा सिंह बिंद्रा ने किया, जो अपने उत्कृष्ट संरक्षण पत्रकारिता के लिए जानी जाती हैं।
दोनों कार्यशालाओं में संरक्षणवादी, लेखक और WCT में संरक्षण संचारक रज़ा काज़मी मेज़बान के रूप में शामिल थे।
इस कार्यशाला (दोनों भाषाओं में) के मुख्य विषय बिंदु इस प्रकार थे:
- मानव-वन्यजीव संघर्ष पर रिपोर्टिंग के दौरान उचित भाषा का उपयोग एवं उसका महत्व।
- ग़ैर-नकारात्मक मानव-वन्यजीव संपर्क और मानव-वन्यजीव संघर्ष के बीच अंतर।
- वन्यजीव अपराध रिपोर्टिंग, ऐसे अपराधों में उचित भाषा का प्रयोग, एवं वन्यजीव क़ानून के प्रति जागरूकता पैदा करने की तत्काल आवश्यकता।
- रिपोर्टिंग करते समय वैज्ञानिक सटीकता के उच्च मानकों को बनाए रखने का महत्व, और वन्यजीव संबंधी रिपोर्टिंग को सनसनीख़ेज़ बनाने के नकारात्मक नतीजे।
- अच्छी पत्रकारिता किस प्रकार मज़बूत संरक्षण प्रभाव पैदा कर सकती है?
- संपादकों के समक्ष वन्यजीव संरक्षण संबंधि कहानियाँ कैसे रखें?