WCT का फ्लोविड़र (FLOWIDER) एप नदीय प्रजाति संरक्षण और बाढ़ जोखिम प्रबंधन के महत्वपूर्ण डेटा को एकीकृत करता है
नदी में, बाढ़ प्रजातियों को,पारिस्थितिकी तंत्र को और बाढ़ के मैदान में रहने वाले समाज को, जीवित और स्वस्थ रखती है, अपनी जीवनदायिनी पोषक तत्वों,तलछट और पानी को वार्षिक तौर पर पुनःपूर्ति और पुनर्भरण करके।वर्षण से उत्पन्न, नदी के बहाव में उत्थान और पतन को,नदी का ‘फ़्लड पल्स ‘ कहा जाता है। रिवरराइन वनजीवन और जैव विविधता का जीवन, रिवर फ़्लड पलसेस पर निर्भर होता है, और, सूखे का मौसम आ जाता है,दोनों को मिलाके इसे ‘रिवर वेव’ कहते हैं। इसके अलावा, करोड़ों लोगों का जीवन,प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से,रिवरराइन पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ, जैसे, मिट्टी की उर्वरता, कृषि के लिए,मत्स्य उपज और भूमिजल पुनर्भरण,जैसे कारकों पर निर्भर रहता है।
पिछले साल बिहार में कोसी नदी की बाढ़ का एक दृश्य। बाढ़-संबंधी आपदाओं के सबसे बुरे प्रभावों को कम करने के लिए प्रभावी बाढ़-जोखिम निगरानी और बांध प्रबंधन के लिए कठोर विश्लेषण और योजना की आवश्यकता होती है। ©विकिमीडिया कॉमन्स
नदी में, बाढ़, प्राकृतिक रूप से ही आनी चाहिए।बावजूद इसके, मानवजनित प्रभाव,नदी के बहाव पर,जलवायु परिवर्तन पर,कभी कभी कुछ टेक्टोनिक गतिविधियों पर,तीव्र बाढ़ का कारण भी बन सकता है, और, समाज के लिए, विनाशकारी साबित हो सकता है।इस परिस्थिति में,आपदा प्रबंधन और बाढ़ जोखिम निघरानी, आवश्यक बन जाते हैं। कुशल बाढ़ और बांध प्रबंधन,असुरक्षित निवास स्थानों की रक्षा और सामाजिक-आर्थिक समुदायों के लाभ को सुरक्षित करने लिए,अतीत और वर्तमान के, बाढ़ ऋतु जलस्तर के डेटा तक पहुँचना, और, उसका आकलन करना,आवश्यक हो जाता है।इसके लिए,बाढ़ ऋतु जल स्तर की निघरानी,स्वरूप को पहचानना और जानकारी युक्त, निर्णय लेना शामिल है।
नदी बहाव जल स्तर डेटा तक, आसान पहुँच,ऐसे आकलनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, शोधकर्ताओं के लिये और दूसरे लोगों के लिए, जो, मीठेपानी के परिस्थितिकी तंत्र,असुरक्षित रिवरराइन प्रजाति, और बाढ़ संबंधी पर्यावरण, और, सामाजिक प्रभाव पर काम कर रहे हैं।
डेटा एकीकरण का महत्व
भारत के गंगा के मैदान,दुनिया में, सबसे बड़े और घने आबादी वाले, नदीय बाढ़ के मैदानों में से एक हैं।कई दुर्लभ,और अति दुर्लभ प्रजातियों की जनसंख्या, जैसे,गंगा नदी डॉल्फ़िन,घड़ियाल,इंडियन स्कीमर,काले पेट वाला टर्न,मीठेपानी वाले कछुए भी, इन जटिल नदी के चैनल,सहायक नदियां,बाढ़ के मैदान,झीलों और डेल्टास के जाल में पाये जाते हैं।इन प्रजातियों का जीवन चक्र, और, लोगों की आजीविका, दोनों का संबंध बाढ़ के पानी से है।
गंगा के मैदानी इलाकों की कुछ नदियाँ जैसे चंबल में लुप्तप्राय भारतीय स्कीमर की एक महत्वपूर्ण प्रजनन आबादी है, जो आमतौर पर गर्मियों में अलग-अलग रेत के द्वीपों में घोंसला बनाती है, जिससे यह नदी के जल स्तर में बदलाव के प्रति संवेदनशील हो जाती है। फोटो क्रेडिट: डॉ. अनीश अंधेरिया
जून से लेकर अक्टूबर तक,जो अमूमन बाढ़ का मौसम होता है,गंगा के मैदानों में,पानी का जलस्तर डेटा,लोगों के लिए,जल संसाधन विभाग द्वारा,अपने वेब पोर्टल्स पर सार्वजनिक किया जाता है,ताकि बाढ़ आपदा जोखिम प्रबंधन, और, चेतावनी प्रणाली का उद्देश्य सार्थक हो सके।लेकिन,अक्सर, यह महत्वपूर्ण डेटा, कई ऑनलाइन स्त्रोतों पर फैला हुआ रहता है,और इस डेटा को, परिवर्तनीय डेटा संरचनाएँ और गैर अनुवाद योग्य प्रारूप में, अभिलेख भी किया जाता है। इसीलिए, आसान पहुँच,इन महत्वपूर्ण डेटासेट्स तक, सभी के लिए मूल्यवान साबित होता है।
वैज्ञानिकों,संरक्षणकर्ताओं,विद्यार्थियों तक,बाढ़ ऋतु जल स्तर डेटा की आसान पहुँच, और, आकलन के वास्तविक संकलन और एकीकरण की आवश्यकताओं को मद्देनजर रखते हुये, WCT में, रिवर इकोलोजिस्ट्स की टीम ने,एक ऐसे अनोखे वेब एप्लिकेशन का विकास किया है, जिसका नाम,’फ्लो अँड वॉटर लेवल इंटिग्रेटेड डेटासेट्स फॉर इकोलोजिकल स्टडीस ऑफ रिवर्स’ या FLOWIDER १.० रखा गया है, WCT के रिवरराइन इकोसिस्टम्स अँड लाइवलीहूड्स (REAL) प्रोग्राम के हिस्से के तौर पर।
FLOWIDER १.०:
FLOWIDER १.० (जिसका उच्चारण flow-y-der के रूप में किया जाता है)एक यूज़र फ्रेंडली वेब बेस्ड एप्लिकेशन है, जो,ग्राफिकल इंटरफ़ेस प्रदान करता है, १०७ बाढ़ ऋतु जल स्तर साइट्स (गेजिंग स्टेशन)की निघरानी रखने के लिए,पूरे २४ नदियों में,जो गंगा के मैदानी इलाकों में है और छह राज्यों में जिनका वर्चस्व है। FLOWIDER डेटाबेस को, बड़ी मेहनत से, सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध, बाढ़ स्तर डेटा, जो जल संसाधन विभाग की वैबसाइट पर,पिछले एक दशक से उपलब्ध है,एकत्रित किया गया है।
“दैनिक बाढ़ ऋतु जल स्तर डेटा संकलन,प्रति वर्ष,जून से लेकर अक्टूबर तक, स्टेशन वाइस और डे वाइस, डेटासेट्स द्वारा किया गया था।२०१३ से सभी बाढ़ स्तर डेटा, PDF फ़ाइलस या वेबपेजेस से हाथों से लिखा जाता था,और जिसको रोज़ अपडेट किया जाता था।सभी स्टेशंस के पास, एक ही,प्रति दिन,अभिलेख किया हुआ जल स्तर होता था, और, बर्राज और बांध स्थल के लिए हमने, हाथों से अनुप्रवाह जल स्तर परिमाण को अभिलेख किया, जो दिन में, सबसे पहले उपलब्ध डेटा के अनुरूप था।कुछ सालों तक,वेदर स्टेशंस पर,केवल ग्राफ(रेखाचित्र) के रूप में,बाढ़ ऋतु जल स्तर की जानकारी,फ़्लड रिपोर्ट्स के रूप में मिलती थी।ऐसे मामलों में हमने,डिजीटाइज़िंग उपकरणों का उपयोग किया,प्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध ग्राफ से डेटा निकालने के लिए। कुलमिलाकर,डेटा एंट्री,क्लीनिंग और संकलन,के लिए हमने बहुत काम किया।” यह था कहना, रम्या रूपा का,जो WCT में, डेटा एनालिस्ट हैं,जिन्होने FLOWIDER एप १.० को विकसित किया।
लगभग १,००,४०० बाढ़ ऋतु जल स्तर अंकों का संकलन,२०१० से २०२३ के बीच में किया गया था।इतना विशाल डेटासेट्स, FLOWIDER १.० एप्लिकेशन का मूल बिन्दु बनता है।
“एप का यह अनोखापन, डेटा पर, प्रजाति,नदी,और डेट फिल्टर्स की संवादात्मक शोध से आता है”,ऐसा रम्या रूपा कहती हैं!इस एप्लिकेशन को बड़ी सोच समझकर बनाया गया है, ताकि, यह शोधकर्ताओं को,देखने और अन्वेषण इंटरफ़ेस प्रदान कर सके, जहां पर,वे डेटा को स्टेशन के आधार पर फ़िल्टर और दुर्लभ वनजीवन प्रजातियों का चयन कर सकें। ७ दुर्लभ या अति दुर्लभ प्रजातियों और जानवर समूहों को, एप्लिकेशन पर उपयोग किया गया है,ताकि, प्रजाति आधार पर,नदी और गेजिंग स्टेशन का चयन हो सके। इसमे,अति दुर्लभ घड़ियाल,मगरमच्छ,दुर्लभ गंगा नदी डोल्फिंस(भारत की राष्ट्रीय जलीय जन्तु) और इंडियन स्कीमर और दूसरे असुरक्षित प्रजाति जैसे,स्मूद-कोटेड ओटटेर्स,मार्श मगरमच्छ(दलदल में रहनेवाला मगरमच्छ)मीठे पानी के दूसरे सॉफ्ट शैल और हार्ड शैल टर्टल्स(कछुए) की प्रजाति और हिल्सा,एक कम होती,मछ्ली की प्रजाति।
FLOWIDER 1.0 वेब एपलीकेशन का, दृश्य श्राव्य माध्यम (video demonstration) द्वारा प्रदर्शन। क्रेडिट: WCT
FLOWIDER १.०, गेजिंग स्टेशन का ‘मॅप व्यू ग्राफिंग विकल्प प्रदान करता है,ताकि बाढ़ जलस्तर समय श्रृंखला का ,एक ही समय ,दो स्टेशंस तक,अन्वेषण किया जा सके,और यूज़र्स को,यह, खोजने योग्य उपकरण प्रदान करता है, ताकि वे,हर एक स्टेशन के,मेटाडेटा तक पहुँच सकें और उसका उपयोग कर सकें।
बाढ़ स्तर उत्थान और घटाव का आकलन करने से लेकर,हाइड्रोलोजिकल स्टडीस को डिज़ाइन करने तक,उसके साथ साथ फूड पलसेस पर,बांध और बर्राजेस या अत्यधिक वर्षा के प्रभाव का आकलन करने तक, FLOWIDER १.० एप के पास बहुमूल्य एप्लिकेशन हैं।
डॉ नचिकेत केलकर,जो WCT में REAL कार्यक्रम का नेतृत्व करते हैं,वह कहते हैं कि,”मुझे इस बात की प्रसन्नता है, की, हमारी टीम और उसकी मेहनत, एक ऐसा संसाधन बना सकी,जो अनुसंधानकर्ताओं के लिए, बहुत उपयोगी साबित होगा। जैसे की डेटा एंट्री,एक बहुत ही सांसरिक और उबाऊ काम है,हमने यह काम,पूरी लगन से किया और बार बार जांच और सम्पादन करते रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए,की ,मौलिक स्त्रोत दस्तावेज़ों के आधार पर,इस बड़े डेटासेट के आंकड़े सही थे की नहीं।कुल मिलाकर, हमने वह सारी मेहनत की है,ताकि अनुसंधानकरताओं और नीतियाँ बनानेवालों को, डेटा, आसानी से मिल सके। हम BNP Paribas India Foundation को धन्यवाद देते हैं,की वे हमारा समर्थन करते रहे और हमारा साथ नहीं छोड़ा।
WCT का, इस एप को बनाने का, यह उद्देश्य है, की विविध यूज़र्स को, बाढ़ जलस्तर की प्रासंगिक जानकारी, एक ही जगह पर,आसानी से मिल सके।REAL कार्यक्रम की टीम,गंगा के मैदानी इलाकों में लंबे समय से काम कर रही है,और इसी वजह से,यह क्षेत्र,इस एप को बनाने में,’एनौगरल चॉइस ऑफ फोकस’ बन गया।बावजूद इसके,आवशयकताओं और डेटा अंतराल के आधार पर, REAL की टीम, FLOWIDER एप को, दूसरी नदियां जो उत्तरी और पूर्वी भारत में हैं,वहाँ तक विस्तार करने का मन बना रही है।टीम की यह भी योजना है, की, समय के साथ साथ, एप में नए फिचर्स जोड़ दिये जाएँ,जो हमें,उपलब्ध डेटासेट्स को,विविध अध्ययन और,नदी इको-हाइड्रोलोजी और जल प्रबंधन निघरानी अभ्यास के लिए, बेहतर तरीके से उपयोग करने में सहायता करे।
App resource links:
A video demonstrating how to use the FLOWIDER app can be watched here.
लेखक के बारे में: पूर्वा वारियार एक वनजीवन संरक्षणकर्ता हैं,विज्ञान लेखक और संपादक हैं और WCT की संचार टीम का नेतृत्व करती हैं। WCT के पहले,पूर्वा, Sanctuary Nature Foundation और The Gerry Martin Project के साथ,काम कर चुकी हैं।
अस्वीकारण: लेखिका, वाइल्डलाइफ कंज़र्वेशन ट्रस्ट से जुड़ी हुई हैं। इस लेख में प्रस्तुत किए गए मत और विचार उनके अपने हैं, और ऐसा अनिवार्य नहीं कि उनके मत और विचार, वाइल्डलाइफ कंज़र्वेशन ट्रस्ट के मत और विचारों को दर्शाते हों।
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